Saturday 22 December 2012

मोहब्बत के सिवा कोई रिश्ता खास नहीं होता



चमक रही हैं आँखें उनकी, जो हमसे आपको छुपा रहे हैं,
लगे हैं आपके बात करने पर पहरे,
देखो वो कितना मुस्करा रहे हैं,
हमें उनकी नियत का आभास नहीं होता,सच कहते हैं मोहब्बत के सिवा कोई रिश्ता खास नहीं होता,
शायद वो हमको दुःख देना चाहते हैं,
या फिर आपको सता रहे हैं,
दो दिन के लिए बुला कर आपको अपने पास
देखो आपसे रोटियां पकवा रहे हैं
जला रहे हैं वो आपकी जान को,
और इतनी दूर हम जले जा रहे हैं
आँखों से निकलती हैं पानी की बुँदे
तो भी कभी  कभी हम  मुस्कुरा रहे हैं
कौन बताएगा हमें अब की आप कैसी हो
इसी चिंता में खुद को जलाये जा रहे हैं
घुमते हुए वहां के उन रास्तों में
तुझे हर पल मेरा नाम याद आया होगा
मैं भी सोचता हूँ ये, की अगर गई होगी तू बाज़ार में
तो किसने तुझे पिज़्ज़ा खिलाया होगा
अगर बैठ गई होगी तू झुला झुलने के लिए
तो किसने तुझे झुला झुलाया होगा
जनता हूँ मैं की मजबूर होगी तू सबसे जायदा
कैसे तूने खुद को समझाया होगा
जिसे कहते हैं दुनिया का सबसे अच्छा शहर
जनता हूँ मेरे बिना वो भी तुझको रास न आया होगा
सोच रहा हूँ ए ज़िन्दगी मिलन ने तुझको हंसाया होगा या रुलाया होगा
बस अभी तो ये सोच रहा हूँ ज़िन्दगी क्या तूने नीर रोटी को फिर से खाया होगा
या फिर मुझे याद करके रोटी का निवाला  मुह तक न तेरे आया होगा
।।।।।।।।