ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर कैसे चली जाएगी
अगर अभी चली भी गई तो जलती हुई मेरी लाश को देख कर चली आएगी
ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर कैसे चली जायगी.....
तेरे दिखाए झूठे सपने गीले पत्तों की तरह धुलेंगे
जब मेरी आँखों से आंसुओं कि बारिश शुरू हो जाएगी
ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर कैसे चली जायगी.....
रुकेगी जब बदन में सांसों कि हलचल मेरे
बस मुझे तू और सिर्फ तू नज़र आएगी
ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर कैसे चली जायगी.....
दिल तो करता है ज़हर पी लूँ मगर "साहिल" को मौत क्या देगी
क्या मरने के बाद मेरी रूह तेरी रूह से मिल पायेगी
ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर कैसे चली जायगी.....
मरने के बाद भी मेरी आत्मा दूर तक नहीं जायेगी
जानती है तू कि ये तेरी तस्वीर तक फिर से लोट आएगी
ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर कैसे चली जायगी.....
मिले अगर हम कभी तो एक हो जायेंगे
फिर ये फ़ासले दूरियाँ न रह पाएंगे
ज़िन्दगी तू फिर मुझे छोड़ कर चली जाएगी.....
तेरे इस दीवाने आशिक को तेरी बहुत याद आएगी
शायद इसी वजह से तू कभी इस साहिल से नहीं मिल पायेगी
ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर कैसे चली जायगी.....
जानता हूँ ए ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर उस दिन"......" चली जाएगी
मगर तुझे ये साहिल कि सच्ची मोहब्बत इक रोज जरुर ढून्ढ लाएगी
ज़िन्दगी तू मुझे छोड़ कर कैसे चली जायगी.....
इस जन्म में न सही ए मेरी ज़िन्दगी
अगले जन्म में तो तू मेरी हर ख़ुशी बन कर आएगी
ज़िन्दगी तू साहिल को छोड़ कर फिर नहीं जा पायेगी..............
जाना भी चाहेगी तो तू इस जन्म में किये वादों को
पूरा करने के लिए रुक जाएगी......
ज़िन्दगी तू अपनी ज़िन्दगी को छोड़ कर कैसे चली जाएगी ............
ज़िन्दगी तू अपनी ज़िन्दगी..... कैसे चली जयेगी......कैसे चली जयेगी....कैसे चली जयेगी.......???
जय श्री राधेकृष्ण