Tuesday 28 June 2011

मगर किसको खबर की तू भी तन्हा थी और मैं भी तन्हा था........



ना तुझे छोड़ सकते हैं तेरे हो भी नही सकते
ये कैसी बेबसी है आज हम ए ज़िन्दगी रो भी नही सेकते.........

ये कैसा दर्द है पल पल हमें तडपाए रखता है
तुम्हारी याद आती है तो फिर सो भी नही सकते........ 

छुपा सकते हैं और ना दिखा सकते हैं दागों को
कुछ ऐसे दाग हैं दिल पर जिन्हें हम धो भी नही सकते........ 

कहा तो था छोड़ देगें तुम्हें, मगर फिर रुक गये ए ज़िन्दगी
तुम्हें पा तो नही सकते, मगर हम खो भी नही सकते........ 

हमारा एक होना भी नही मुमकिन रहा अब तो
कसमें और वादे ऐसे हैं जिन्हें हम तोड़ भी नहीं सकते.....

हम हैं तुम्हारे और तू है हमारी..
ये जानते हैं दोनों लेकिन एक दुसरे के हम हो भी नहीं सकते....

ए ज़िन्दगी ये जो तेरी मोहब्त का कच्चा धागा था
वो कच्चा धागा शायद कब का टूट गया........

जो मोहब्बत का मौसम आया था "साहिल" की ज़िन्दगी में
वो बेचारा मौसम न जाने कब का पीछे छूट गया....

रास्ता तू अभी चली भी नहीं थी संग मेरे.........
दो कदम चलने पर ही, तेरे नाजुक पैरों में छाला फूट गया....

जारी है मगर "अन्जान मोहब्बत" का सफ़र
एक दिन तू मुझसे यूँही दूर हो जाएगी...

अपने इस दीवाने को तू इस अजनबी सफ़र में
मौत तक रोने के लिए अकेला छोड़ जाएगी...........

फिर लोग कहेंगे की इनका रिश्ता कितना सचा था
मगर किसको खबर की तू भी तन्हा थी और मैं भी तन्हा था...
.....


न एक दुसरे को छोड़ सकते थे, न एक दुसरे के हो ही सकते थे
हमारी बेबसी ऐसी थी हम एक दुसरे को दुःख न हो इसलिए रो भी न सकते थे...........

तस्वीर सामने होती थी तुम्हारी ए ज़िन्दगी
इसी लिए हम सारी रात सो भी न सकते थे...........

देख लेगी तेरी ये तस्वीर रोते हमको.......
सच कहते हैं इसी लिए हम रो भी न सकते थे....

तुम्हे पा तो नहीं सकते मगर मेरी ए ज़िन्दगी 
इस दुनिया में तुम्हे किसी भी कीमत पर हम खो भी नहीं सकते.......



missing u 2 much......zindagi....jsr

1 comment:

  1. Sahil ji ,

    Itni khubsurat lines sirf aap hi likh sakte hai.
    Apke pyar ki gehrai aur uski tadaf hamare dil ko chu gai.
    Shayad aap kisi se bohot pyar karte hai.
    aage bhi aap aisi khubsurat literature likhte rahiye
    Bas ye kuch lines fit nai hui...

    Best wishes n regards
    Meenal

    जो मोहब्बत का मौसम आया था "साहिल" की ज़िन्दगी में
    वो बेचारा मौसम न जाने कब का पीछे छूट गया....

    रास्ता तू अभी चली भी नहीं थी संग मेरे.........
    दो कदम चलने पर ही, तेरे नाजुक पैरों में छाला फूट गया....

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