Tuesday 16 August 2011

ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी । यही सोचता हूँ की क्या बात होगी ॥


ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी ।
यही सोचता हूँ की क्या बात होगी ॥
ये दिन ढल गया है व फैला अँधेरा ,
है यादों ने बनकर के तूफान घेरा ,
चमकने लगी बिजली आसमां में ,
है विश्वास अब सुख की बरसात होगी ॥
ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी ।
यही सोचता हूँ की क्या बात होगी..........॥
मैं बनकर के दीवाना गलियों में घूमा ,
चमकती बिजली के संग में भी खिल करके झूमा ,
मिले तू मुझे मैं गले से लगाऊं,
यही प्रेम की पुण्य सौगात होगी
ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी ।
यही सोचता हूँ की क्या बात होगी..........॥
विरह की व्यथा में हुआ बे-सहारा,
की रो-रो तडपता है यह दिल हमारा
"साहिल"सिर्फ़ यादों के अब क्या बचा है ,
बिना अब न उनके मधुर रात होगी ॥
ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी ।
यही सोचता हूँ की क्या बात होगी..........॥
जुबां से न हमारी अब कोई बात होगी
तड़पते दिल के लिए ये अमृत की बरसात होगी
ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी ........
खामोश रहकर भी हमारी बात होगी.......
ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी
ये ज़िन्दगी भर के लिए प्यार की एक सोगात होगी
ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी.....
बस दिलों की दिलों से ही बात होगी.........
ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी ।
यही सोचता रहता हूँ की क्या बात होगी....॥
साहिल की कविताओं में सिर्फ मोहब्त की बात होगी
आंसुओं की अब ना आँखों से बरसात होगी

ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी..........
 ज़िन्दगी जब हमारी मुलाकात होगी............!!!!!!!!!!
love u zindagi..........

........***जय श्री कृष्ण***.........!

Thursday 4 August 2011

रक्षाबन्धन


रक्षाबन्धन

हिन्दुओं के चार प्रमुख त्यौहारों में से रक्षाबन्धन का त्यौहार एक है,श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है,यह मुख्यत: भाई बहिन के स्नेह का त्यौहार है,इस दिन बहिन भाई के हाथ पर राखी बांधती है,और माथे पर तिलक लगाती है,भाई प्रतिज्ञा करता है,कि यथा शक्ति मै अपनी बहिन की रक्षा करूंगा। एक बार भगवान श्रीकृष्ण की कलाई में चोट लगने से रक्त बहने लगा,तो द्रोपदी ने अपनी साडी का पल्लू फ़ाड कर उनके हाथ में पट्टी बांध दी,इसी बन्धन से ऋणी होकर दु:शासन के द्वारा चीर हरण के समय उन्होने साडी का पल्लू बढा कर उनकी लाज बचाई थी,मध्यकालीन इतिहास में एक ऐसी घटना मिलती है,जिसमें चित्तौड की रानी कर्मावती ने दिल्ली के मुगल बादशाह हुमायूँ के पास राखी भेजकर अपना भाई बनाया था,हुमायूँ ने राखी की इज्जत रखी और उनकी रक्षा के लिये गुजरात के बादशाह से युद्ध किया था।

कथा

प्राचीनकाल में एक बार देवताओं और दानवों में बारह वर्ष तक घोर संग्राम चला,इस संग्राम में राक्षसों की जीत हुई और देवता हार गये,दैत्यराज ने तीनों लोकों के अपने वश में कर लिया,तथा अपने को भगवान घोषित कर दिया,दैत्यों के अत्याचारों से देवताओं के राजा इन्द्र ने देवताओं के गुरु बृहस्पति से विचार विमर्श किया,और रक्षा विधान करने को कहा,श्रावण पूर्णिमा को प्रात: काल रक्षा का विधान सम्पन्न किया गया-"येन बद्धोबली राजा दान्वेन्द्रो महाबल:,तेन त्वामिभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल",उक्त मंत्रोचार से श्रावण पूर्णिमा के दिन गुरु बृहस्पति ने रक्षा विधान किया,सह धर्मिणी इन्द्राणी के साथ वृत्र संहारक इन्द्र ने बृहस्पति की वाणी का अक्षरस: पालन किया,इन्द्राणी ने ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा स्वास्तिवाचन कराकर इन्द्र के दायें हाथ में रक्षा सूत्र बांध दिया,इसी सूत्र के बल पर इन्द्र ने दानवों पर विजय प्राप्त की।
जय श्री राम............!

नागपंचमी वर्त कथा....मुकेश बिजल्वाण


श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पंचमी के नाम से विख्यात है,इस दिन नागों का पूजन किया जाता है सि दिन व्रत करके सांपों को दूध पिलाया जाता है,गरुड पुराण में ऐसा सुझाव दिया गया है कि नागपंचमी के दिन घर के दरवाजे के दोनो बगल में नाग की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाय,ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के मालिक नाग है,अर्थात शेषनाग आदि सर्पराजाओं का पूजन पंचमी को होना चाहिये।

कथा

प्राचीन दन्त कथाओं में अनेक कथायें प्रचलित है,उनमे से एक कथा इस प्रकार है- किसी राज्य में एक किसान रहता था,किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी,एक दिन हल चलाते समय सांप के तीन बच्चे कुचलकर मर गये,नागिन पहले तो विलाप करती रही फ़िर सन्तान के हत्यारे से बदला लेने के लिये चली,रात्रि में नागिन ने किसान उसकी पत्नी व दोनो पुत्रों को डस लिया,अगले दिन नागिन किसान की पुत्री को डसने के लिये पहुंची तो किसान की पुत्री ने नागिन के सामने दूध से भरा कटोरा रखा,और हाथ जोड कर क्षमा मांगने लगी,नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता पिता और दोनो भाइयों को जीवित कर दिया,उस दिन श्रावण शुक्ला पंचमी थी, तभी से नागों के प्रकोप से बचने के लिये इस दिन नागों की पूजा की जाती है।
जय श्री राम............!