Thursday 4 August 2011

नागपंचमी वर्त कथा....मुकेश बिजल्वाण


श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पंचमी के नाम से विख्यात है,इस दिन नागों का पूजन किया जाता है सि दिन व्रत करके सांपों को दूध पिलाया जाता है,गरुड पुराण में ऐसा सुझाव दिया गया है कि नागपंचमी के दिन घर के दरवाजे के दोनो बगल में नाग की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाय,ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के मालिक नाग है,अर्थात शेषनाग आदि सर्पराजाओं का पूजन पंचमी को होना चाहिये।

कथा

प्राचीन दन्त कथाओं में अनेक कथायें प्रचलित है,उनमे से एक कथा इस प्रकार है- किसी राज्य में एक किसान रहता था,किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी,एक दिन हल चलाते समय सांप के तीन बच्चे कुचलकर मर गये,नागिन पहले तो विलाप करती रही फ़िर सन्तान के हत्यारे से बदला लेने के लिये चली,रात्रि में नागिन ने किसान उसकी पत्नी व दोनो पुत्रों को डस लिया,अगले दिन नागिन किसान की पुत्री को डसने के लिये पहुंची तो किसान की पुत्री ने नागिन के सामने दूध से भरा कटोरा रखा,और हाथ जोड कर क्षमा मांगने लगी,नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता पिता और दोनो भाइयों को जीवित कर दिया,उस दिन श्रावण शुक्ला पंचमी थी, तभी से नागों के प्रकोप से बचने के लिये इस दिन नागों की पूजा की जाती है।
जय श्री राम............!

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