Thursday 4 August 2011

रक्षाबन्धन


रक्षाबन्धन

हिन्दुओं के चार प्रमुख त्यौहारों में से रक्षाबन्धन का त्यौहार एक है,श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है,यह मुख्यत: भाई बहिन के स्नेह का त्यौहार है,इस दिन बहिन भाई के हाथ पर राखी बांधती है,और माथे पर तिलक लगाती है,भाई प्रतिज्ञा करता है,कि यथा शक्ति मै अपनी बहिन की रक्षा करूंगा। एक बार भगवान श्रीकृष्ण की कलाई में चोट लगने से रक्त बहने लगा,तो द्रोपदी ने अपनी साडी का पल्लू फ़ाड कर उनके हाथ में पट्टी बांध दी,इसी बन्धन से ऋणी होकर दु:शासन के द्वारा चीर हरण के समय उन्होने साडी का पल्लू बढा कर उनकी लाज बचाई थी,मध्यकालीन इतिहास में एक ऐसी घटना मिलती है,जिसमें चित्तौड की रानी कर्मावती ने दिल्ली के मुगल बादशाह हुमायूँ के पास राखी भेजकर अपना भाई बनाया था,हुमायूँ ने राखी की इज्जत रखी और उनकी रक्षा के लिये गुजरात के बादशाह से युद्ध किया था।

कथा

प्राचीनकाल में एक बार देवताओं और दानवों में बारह वर्ष तक घोर संग्राम चला,इस संग्राम में राक्षसों की जीत हुई और देवता हार गये,दैत्यराज ने तीनों लोकों के अपने वश में कर लिया,तथा अपने को भगवान घोषित कर दिया,दैत्यों के अत्याचारों से देवताओं के राजा इन्द्र ने देवताओं के गुरु बृहस्पति से विचार विमर्श किया,और रक्षा विधान करने को कहा,श्रावण पूर्णिमा को प्रात: काल रक्षा का विधान सम्पन्न किया गया-"येन बद्धोबली राजा दान्वेन्द्रो महाबल:,तेन त्वामिभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल",उक्त मंत्रोचार से श्रावण पूर्णिमा के दिन गुरु बृहस्पति ने रक्षा विधान किया,सह धर्मिणी इन्द्राणी के साथ वृत्र संहारक इन्द्र ने बृहस्पति की वाणी का अक्षरस: पालन किया,इन्द्राणी ने ब्राह्मण पुरोहितों द्वारा स्वास्तिवाचन कराकर इन्द्र के दायें हाथ में रक्षा सूत्र बांध दिया,इसी सूत्र के बल पर इन्द्र ने दानवों पर विजय प्राप्त की।
जय श्री राम............!

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