Sunday 29 September 2013

वक़्त के साथ कुछ न कुछ सुन्दर हो जाता है

वक़्त के साथ कुछ न कुछ सुन्दर हो जाता है,
इस ज़िन्दगी में कोई जाता है कोई आता है,
कोई चुप रहके अपना प्यार जताता है,
तो कोई दिखावटी ख्याल रखके हमें भी मोहब्त है ये बताता है,
मोहब्त के दरिया के बीच में फंसा साहिल! साहिल साहिल चिलाता है,
उसकी चीखों को सुनके भी कोई उसे बचाने नहीं आता है,
बेवकूफ है वो इन्सान जो साहिल साहिल चिलाता है,
उसका खुद का ही नाम साहिल है, ये माया मोह के चक्कर में भूल जाता है,
जेसे ही नींद खुलती है उसकी, उसका दिमाग उसके दिल को समझाता है,
अरे तू तो वही साहिल है! जिसका नाम हर डूबने वाला चिलाता है,
शायद तू भूल गया ए साहिल, जो भी तुझे पाता है,
वो साहिल को पाकर भी ज़िन्दगी भर के लिए डूब जाता है,
हमारे दोस्त कहते है जो रोज रोज मुंगी की दाल खाता है,
मेडिकल साइंस में आपने भी तो पढ़ा होगा साहिल, कि वो कुपोषण का शिकार हो जाता है,
हमने कहा हाँ पढ़ा तो है दोस्तों, लेकिन...........लेकिन
हमें एलर्जी है, किसी दूसरी चीज से! ये हमारा पुराना एक्सपीरियंस हमें बताता है,
उन्होंने कहा तू किसी डोक्टर से इस एलर्जी का इलाज क्यूँ नहीं करवाता है,
हमने कहा, दोस्तों हॉस्पिटल में जाके बीमारी का खतरा जयादा बढ़ जाता है,
लोग कहते हैं बहुत senestive हैं हम, हमें इन्फेक्शन बहुत जल्दी हो जाता है,
अरे साहिल अब तो सोजा इतना दिमाग क्यूँ चलाता है,
बस चार बजने वाले हैं भला चार बजे के बाद भी कोई सो पता है....
जो सोचते हैं की उन्होंने हमें सारी रात जगाया,
तो शायद उन्होंने हमारी पहली दो पंक्तियों पे ढंग से गोर ही नहीं फ़रमाया,
वक़्त के साथ कुछ न कुछ सुन्दर हो जाता है,
इस ज़िन्दगी में कोई जाता है कोई आता है,.
इस ज़िन्दगी से जब कोई जाता है,,,, तभी तो कोई आता है
जय श्री राम

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